मधुशाला- हरिवंशराय बच्चन की एक कालजयी रचना
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला , प्रियतम , अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला , पहले भोग लगा लूँ तेरा ...
कुछ तो कहेगा दिल ये गर तलब इसे हुई, ये बात और है कि तुम सुनो या ना सुनो, मस्ती फिजां की देख के बहकेगा दिल ज़ुरूर, बहके हुए इस दिल को तुम चुनो या ना चुनो!!
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला , प्रियतम , अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला , पहले भोग लगा लूँ तेरा ...