0
                                 


कछुआ और खरगोश की कहानी हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। लेकिन आज मैं आपके सामने इस कहानी का नया और Latest edition रख रहा हूँ।


* कछुआ और खरगोश में एक दिन दौड़ की प्रतियोगिता हुई। खरगोश ने मन ही मन सोचा कि ये सुस्त और   धीमी चाल चलने वाला कछुआ क्या दौड़ेगा, उसने सोचा आखिरकार विजेता तो मैं ही बनूँगा। खरगोश पूरे आत्मविश्वास के साथ दौड़ा और आधे रास्ते में एक पेड़ के नीचे सो गया। कछुआ धीरे-धीरे चलकर ही अपनी
मंजिल पर पहुँच गया और कछुआ विजेता बन गया। यह है पुराना संस्करण।

शिक्षा-

(1.) वही जीतता है जो अपने कार्य के प्रति सजग होता है, पूर्ण समर्पण भावना से कार्य करता है।

(2.) हमेशा कछुए की तरह भले ही धीरे चलें क्योंकि ये बात मायने नहीं रखती कि आप कितना धीमे चल रहे हैं जब तक कि आप रुके ना। इसलिये चलते जाइये मंजिल आपके इंतजार में है।

(3.) किसी को कमजोर न समझें क्योंकि यही कमजोर एक दिन आपसे भी आगे जा सकते हैं।


New Edition-
*एक दिन जंगल में खरगोश खेल रहा था और वहाँ से कछुआ गुजरा। खरगोश ने अपमान का बदला लेने की पुरी ठान ली थी, खरगोश ने कछुए को एक बार फिर ललकारा कि चलो एक और दौड़ हो जाये, लेकिन कछुए ने दौड़ने से मना कर दिया क्योंकि कछुआ बुद्धिमान था।

शिक्षा-

(4.) आपसे ज्यादा गुणवान यदि हार जाये तो घमण्ड कभी न करें क्योंकि किस्मत हमेशा साथ नहीं देती और सामने वाला हर बार त्रुटि नहीं करेगा।

(5.) अवसर का भरपूर फायदा उठायें नहीं तो खरगोश की तरह दूसरे अवसर का इंतजार करते रह जायेंगे।


*खरगोश ने हार नहीं मानी और जंगल में सभी जानवरों की पंचायत सभा बुलाई। और कछुए को दौड़ के लिये मजबूर कर दिया और पंचायत ने भी खरगोश का समर्थन किया। लेकिन इस बीच बुद्धिमान कछुए ने एक शर्त रखी कि वो दौड़ का रास्ता खुद तय करेगा। सबने उसकी इस शर्त को स्वीकार लिया। दौड़ शुरू हुई, खरगोश ने सोचा कि मार्ग तय कर लेने से क्या हो जायेगा, आखिरकार मेरी दौड़ने की गति ही तो काम आयेगी। खरगोश ने ठान लिया था कि इस बार चाहे जो हो जाये वो रास्ते में नहीं रुकेगा। कछुआ धीरे-धीरे चलता गया और खरगोश पूरे तेज रफ्तार से दौड़ते चला गया। दौड़ते-दौड़ते, अचानक खरगोश के होश ही उड़ गये जब उसके सामने पानी का बहुत बड़ा नाला दिखाई दिया। खरगोश ने कभी भी नहीं सोचा था कि कछुआ इतनी बुद्धिमानी भरी चाल भी चल सकता है। खरगोश के मुंह से शब्द भी नहीं निकल रहे थे और वो बेचारा
नाले के किनारे बैठ गया।

शिक्षा-

(6.) कभी भी सामने वाले को मुर्ख न समझें क्योंकि आप सोच सकते हैं तो वो आपसे ऊँचा सोच सकता है।

(7.) सामने वाले को हराने के लिये कभी न खेले बल्कि जीतने के लिये आगे आयें।

* खरगोश को नाले के पास बैठे देखकर कछुआ मुस्कराया क्योंकि उसे तो तैरना नहीं आता था। खरगोश, कछुए से नजरे भी नहीं मिला पा रहा था। अचानक वहाँ पर शेर दहाड़ते हुए पहुँचा और दोनों से शेर ने कहा कि तुम्हारी कहानियां बच्चे बहुत पसंद करते हैं, कई किताबों में छापी जाती हैं यदि तुम मुझे भी इस कहानी में शामिल कर लो तो मैं तुम्हें नहीं खाऊँगा इसलिये मेरे साथ भी एक दौड़ लगाओ या मेरा भोजन बन जाओ।
कछुए और खरगोश दोनों ने सोचा कि बिना दौड़े मर जायेंगे इससे अच्छा दौड़ लगायें और जीतने का प्रयास करें। लेकिन कछुए ने एक शर्त और रख दी कि मार्ग वही तय करेंगे। आखिरकार दौड़ शुरू हुई, कछुआ खरगोश की पीठ पर बैठ गया और खरगोश दौड़ने लगा। शेर भी दौड़ रहा था लेकिन जब उसने सामने नदी आयी तो वह चौंक गया। खरगोश नदी तक कछुए को बिठाये ले गया और नदी पर पहुँचकर खरगोश कछुए की पीठ
पर चढ़ गया और दोनों ने नदी पार कर ली और शेर सिर पकड़कर बैठ गया क्योंकि तैरना तो उसे आता नहीं था।



शिक्षा-

(8.) जब मुसीबत में हों तो हार कभी न माने क्योंकि हार मानकर बैठने से अच्छा आखिर दम तक प्रयास करना क्योंकि कब जानें पाँसा पलट जाये।

(9.) सामने वाला ताकतवर, बड़ा या तेज होने का मतलब यह नहीं है कि वही जीतेगा।

(10.) यदि आपके अंदर की कमी सामने वाले की खुबी हो और आपकी खुबी दूसरे की कमी हो तो इससे अच्छा टीम वाली जोड़ी नहीं हो सकती।

(11.) जब सामने वाला शक्तिशाली हो तब टीम बनाकर ही उसका मुकाबला करें।



आभार: www.hamarisafalta.com

Post a Comment

आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है। अतः अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।

 
Top