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एक दिन एक दस साल का बच्चा एक आइसक्रीम की दुकान पर गया और टेबल पर बैठ कर एक महिला वेटर से पूछा , " एक कोन आइसक्रीम कितने की है ?" उसने कहा , " पचहत्तर रुपये की "| बच्चा हाथ में पकड़े सिक्कों को गिनने लगा , फिर उसने पूछा कि छोटी कप वाली आइसक्रीम कितने की है ? वेटर ने बेसब्री से कहा, " पैंसठ रुपये की" | लड़का बोला, " मुझे छोटा कप ही दे दो। "

लड़का अपना आइसक्रीम खाया, उसने पैसे दिए और चला गया। जब वेटर खली प्लेट उठाने के लिए आई तो उसने जो देखा, वह बात उसके मन को छू गयी। वहां दस रुपये 'टिप' के रखे हुए थे। उस छोटे बच्चे ने उस वेटर का ख्याल किया। उसने संवेदनशीलता दिखाई थी। उसने खुद से पहले दूसरे के बारे में सोचा।


दोस्तों यह भले ही एक छोटी सी कहानी है पर इस कहानी में एक बेहतरीन बात छिपी है। अगर हम सब एक दूसरे के लिए उस छोटे से बच्चे की तरह सोचें तो इस दुनिया में एक बहुत सकारात्मक परिवर्तन आएगा ये दुनिया और भी हसींन लगने लगेगी। दूसरों की ख़ुशी की बारे में सोचना एक अच्छा एहसास है। दूसरों का ख्याल रखना सचमुच यह दिखाता है कि हम उनकी कितनी परवाह करते हैं। इसलिए दोस्तों अपनी ख़ुशी के साथ- साथ दूसरों की खुशियों के बारे में भी सोचिये साथ ही दूसरों का ख़याल कीजिये। क्योँकि एक महान आदमी की सोच कहती है "अपने लिए ही जीये तो क्या जीये ।"

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  1. सच कहा है "अपने लिये जीये तो क्या जीये"

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