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हुत ही कनफुजिया गया हूँ भगवान, कुछ तो गलती कर रहें हैं हम इन्सान कि हमारी बात तुम तक पहुँच नहीं रही है, हमारी कठिनाई बूझिए न| तनिक गाइड कर दीजिए, हाथ जोड़कर आपसे बात कर रहें हैं, माथा ज़मीन पर रखें, घंटी बजा कर आप को जगायें कि लाउडस्पीकर पर आव़ाज दें, गीता का श्लोक पढ़ें, कुरान की आयत या बाइबिल का वर्स? क्या करें जिससे हमारी बात आप तक पहुंचे| हमें ये नहीं समझ में आता है कि जब आपने खुद हमारा निर्माण किया है तो हमें दुःख भोगने पर मजबूर क्यों करते हो| कुछ लोग कहते हैं कि कर्मों की सज़ा इन्सान को मिलती है पर हमारे ये समझ में नहीं आता कि जब सब कुछ आपकी इच्छा से होता है, आपकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है तो फिर सज़ा हमें क्यों? हमारे पास तो आपके द्वारा पूर्व निर्धारित मार्ग पर चलनें के अलावा और कोई चारा ही नहीं है| यदि यह माना जाये कि आप हमारी परीक्षा ही ले रहे हैं तब आप पहले से ही हमारा भविष्य जान ही नहीं सकते, क्योंकि भविष्य जानते होते तो परीक्षा की आवश्यकता ही क्या रह जाती है? यदि सच में आप हमारे पिता हैं तो कैसे एक पिता अपनें बच्चों को ख़ुद इतना तकलीफ दे सकता है? चाहे ख़ुशी देने के लिए हो या दुःख देने के लिए या फ़िर परीक्षा लेने के लिए हो, आपने हमें बनाया ही क्यों? क्या आप अपनें एकाकीपन का लुत्फ़ ख़ुद ही नहीं उठा सकते थे भगवान? क्या ज़रूरत थी पहले हमें बनाओ और फ़िर हमें अपनें इशारों पर नचाओ| कौन सी बात सही है, कौन सी बात ग़लत, समझ नहीं आई रहा, पूरा फ्रस्टेटिया गया हूँ भगवान! हमका लागत है आपसे बात करे का कम्युनिकेशन सिस्टम इस गोला का टोटल लुल हो चुका है| आप ही कोइ संवाद कर लो हम लोगों से... कोई रास्ता बुझा दो ताकी आगे से हम लोगन से कौनों ग़लती ना हो.... हाथ जोड़कर विनती है आपसे|           

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