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जब तुमसे मिला, तुम दिल को छु गई,
आँखो से आँखे मिली, और रूह फना हो गई,
मेरे दिल मैं अरमानों की कली खिल गई,
भटकती आँखों को अब मंजिल मिल गई,

जितना तुझे जानता, उतना तुझमें और डूब जाता,
जब तेरे साथ बैठता, तो इस रूह को सुकून आता,
सोचा दिल की बात अगर ना कही तो बेमानी होगी,
शायद जिंदगी की किताब में, अपनी भी कोई कहानी होगी,

इस कहानी को अंजाम देने का समय, यही है शायद,
कुछ कर गुजरने का समय, यही है शायद,
ये दूरी और अकेलापन अब और सहा नही जाता,
पर जबाँ से न जाने कुछ, क्यों, कहा नहीं जाता,

इस दिल की बात का सारांश, ये मेरा इजहार है,
ए मेरी जान सच कह रहा हूँ की, मुझे तुझसे प्यार है,

कह देना मुझसे जो भी चाह हो तेरी,
पर दूर न जाना मुझसे ये इल्तजा है मेरी,
तेरे साथ रहूंगा हमेशा, हर रोज की तरह,
पर चाहूँगा तुझे हमेशा, इस रोज की तरह,

फूल नही, रत्न नही, ना ही कोई हार दिया,
लेकिन इस ख़त मे मैंने, तुझे अपना प्यार दिया,
अगर मेरा प्यार कीमती लगे, तो इसे अपना लेना,
नही तो सड़क के पत्थर की तरह, मुझे ठुकरा देना,

अपनी चाहत का इजहार मैं और नहीं कर पाऊंगा,
ये झूठ लिख रहा हूँ की, तेरे बिन मैं मर जाऊंगा,
क्यूंकि अगर तू खुश हैं, तो मेरी ये जाँ सलामत है,
लेकिन अगर दुःखी है, तो हर लम्हां मेरे लिए क़यामत है,

तेरे जवाब के इंतज़ार तक, हम तेरे ख्वाब में खोये हैं,
पर इतना देर मत करना, की मेरी कब्र पर आओ, और लोग कहें,
तुम्हारा इंतज़ार कर अभी सोये हैं ।

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