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आज बिछड़ा हुआ एक दोस्त बहुत याद आया,
अच्छा गुज़रा हुआ कुछ वक्त बहुत याद आया,

कुछ लम्हे, साथ बिताए कुछ पल,
साथ मे बैठ कर गुनगुनाया वो गीत बहुत याद आया,

इक मुस्कान, इक हँसी, इक आँसू, इक दर्द,
वो किसी बात पे हँसते हँसते रोना बहुत याद आया,

वो रात को बातों से एक दूसरे को परेशान करना,
आज सोते वक्त वही ख्याल बहुत याद आया,

कुछ कह कर उसको चिढ़ाना और उसका नाराज़ हो जाना,
देख कर भी उसका अनदेखा कर परेशान करना बहुत याद आया,

मुझे उदास देख उसकी आँखें भर आती हैं,
आज अकेला हूँ तो वो बहुत याद आया,

मेरे दिल के करीब थी उसकी बातें,
जब दिल ने आवाज़ लगाई तो बो बहुत याद आया,

मेरी ज़िन्दगी की हर खुशी मे शामिल उसकी मौजूदगी,
आज खुश होने का दिल किया तो वो बहुत याद आया,

मेरे दर्द को अपनानाने का दावा था उसका,
मुझ से अलग हो मुझे दर्द देने वाला बहुत याद आया,

मेरी कविता पर कभी हँसना तो कभी हैरान हो जाना,
सब समझ कर भी अन्जान बने रहना बहुत याद आया,

उन पुरानी तस्वीरों को लेकर बैठा हूँ आज,
फिर मिलने की उम्मीद देकर उसका अलविदा कहना बहुत याद आया।

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