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ये कविता मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त के लिये लिखी है..उसके बारे में कविता के माध्यम से अपने शब्दों को अभिव्यक्ति बहुत दिनों से देने की सोच रहा था पर कभी समय नहीं मिल पा रहा था तो कभी चाहते हुये भी शब्द कागज पर नहीं उतर पा रहे थे... मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूँ कि ....तेरी दोस्ती में ख़ुद को महफूज़ मानते हैं
हम दोस्तों में तुम्हे सबसे अज़ीज़ मानते हैं तेरी दोस्ती के साए में जिंदा हैं हम तो तुझे खुदा का दिया हुआ ताबीज़ मानते हैं


वो लड़की एक पागल सी,
हमेशा याद आती है,
कभी मिलती है ख्वाबों में,
कभी दामन बचाती है,
कभी ढ़ेरों करें बातें,
कभी चुपचाप रहती है,
मैं जब भी बात करता हूँ,
वो मुझसे लड़ने लगती है,
मगर उसकी यही बातें,
मुझे प्यारी सी लगती हैं,

वो लड़की एक पागल सी,
हमेशा याद आती है..

ठिठुरती सर्द रातों में,
मैं जब तन्हा होता हूँ,
आसमाँ के सब सितारों को,
उसके किस्से सुनाता हूँ,
कभी मिलता हूँ जब उस से,
मैं ये सवाल करता हूँ,
क्या मुझे तुम याद करती हो ?
तुम्हे मैं याद आता हूँ ?
वो कहती मुस्कुरा कर के,
पुरानी बात है लेकिन,
लोग अक्सर गुनगुनाते हैं..
उन्हें हम याद करते हैं,
जिन्हे हम भूल जाते हैं,

वो लड़की एक पागल सी,
हमेशा याद आती है...

वो ख्यालों में भी है मेरे,
सवालों में भी है मेरे,
वो सबसे पास है मेरे,
हमेशा साथ है मेरे,
मुझे वो,मुझसे बेहतर समझती है,
मेरे हर दर्द हर तकलीफ़ में,
वो भी आँसू बहाती है,
जिससे कुछ भी कहने में
डरता नहीं हूँ मैं,
वो पागल सी एक लड़की है,
जिससे बिछ्ड़ने से डरता हूँ..

वो लड़की एक पागल सी,
हमेशा याद आती है...






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  1. bahut khoob kaha aapne... maine bhi kabhi likha tha kuchh aisa..shayad shayro ke khyal milte julte hi hote hain...

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