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खिलती सुबह ढलती शाम
की तरह तू मासूम है,
इठलाती घटाओं, लहराती हवाओं
की तरह तू बड़ी नादाँ है।
तारीफ़ क्या करूँ ज़माने से तेरी,
तू अपने आप में ही कुछ ख़ास है।

निगाहों में तेरी कशिश है अजब सी,
हंसीं तेरी एक प्यार भरा जाम है,
महकती है फ़िज़ायें साँसों से तेरी,
धड़कनें तेरी हर गीत का साज़ है।

तन्हाई में मेरी आज कल
बातें तेरी आम हैं,
हर लफ्ज़, हर दुआ में मेरी
बस एक तेरा ही नाम है।

खुशियाँ मिले ज़माने भर की तुझे,
खुश रहे तू उम्र भर,
बस यही एक ख्वाब, हसरत, फरियाद है।

ऐ यार मेरे, अब जुदा न होना, तू मुझसे,
इस पत-झड़ की तू ही एक बहार है....

साभार:

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  1. वाह भाई बहुत मस्त लिखते हैं आप

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