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होने दो सागर का मंथन
होने दो सागर का मंथन

होने दो सागर का मंथन विष निकलेगा- यह भय क्यों हो क्यों हो क्रंदन- पाना तुमको यदि अमृत है मंथन तो करना ही होगा छोड़ रहे क्यों मध्य मार...

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