एक बार दो गधे अपनी पीठ पर बोझा उठाये चले जा रहे थे, उनको काफी लंबा सफर तय करना था.. एक गधे की पीठ पर नमक की भारी बोरियां लदी हुई थीं तो एक की पीठ पर रूई की बोरियां लदी हुई थीं.
जिस रास्ते से वो जा रहे थे उस बीच में एक नदी पड़ी, नदी के ऊपर रेत की बोरियों का कच्चा पुल बना हुआ था.. जिस गधे की पीठ पर नमक की बोरियां थीं, उसका पैर बुरी तरह से फिसल गया और वह नदी के अंदर गिर पड़ा.. नदी में गिरते ही नमक पानी में घुल गया और उसका वजन हल्का हो गया.. वह यह बात बड़ी प्रसन्नता से दुसरे को बताने लगा.. दुसरे गधे ने सोचा कि यह तो बढ़िया युक्ति है, ऐसे में तो मैं भी अपना भार काफी कम कर सकता हूँ और उसने बिना सोचे समझे पानी में छलांग लगा दी, किन्तु रूई के पानी सोख लेने के कारण उसका भार कम होने की जगह बहुत बढ़ गया, जिस कारण वह मुर्ख गधा पानी में डूब गया।
एक संत यह सारा किस्सा अपने शिष्यों के साथ देख रहे थे, उन्होंने अपने शिष्यों से कहा- “मनुष्य को सदा अपना विवेक जागृत रखना चाहिए, बिना अपनी बुद्धी लगाए दूसरों की नकल करने वाले सदा उपहास के पात्र बनते हैं। ”
हमारी असल जिंदगी में भी यही बात लागू होती है, हम किसी को एक क्षेत्र में सफल होते देख उसे कॉपी करना शुरू कर देते हैं, हमे लगता है कि यदि कोई बंदा अपने क्षेत्र में सफल हो गया तो हमे भी उस क्षेत्र में सफलता मिल जायेगी लेकिन हम शायद यह ध्यान नहीं देते कि उसके पीठ पर नमक वाली बोरी है मतलब उसका इंटरेस्ट अलग है और भूलवश हम रूई की बोरी को लादे छलांग लगा देते हैं मतलब दूसरा टैलेंट या इंटरेस्ट को लादे उस क्षेत्र में सफल होने का ख्वाब देखते है, और अंततः हमें पछताना पड़ता है। इसलिए , दूसरों को देखकर सीखना ठीक है पर उनका अँधा अनुसरण करना उस मूर्ख गधे के समान व्यवहार करना है।
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