अमेरिका के थॉमस अल्वा एडिसन इतिहास के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में शुमार होते हैं,जिनके बनाए बिजली के बल्ब ने पूरी दुनिया को नई रोशनी दी। एडिसन के नाम अकेले अमेरिका में ही 1,093 आविष्कारों के पेटेंट हैं। यह 1914 के दिसंबर महीने की बात है। एडिसन की फैक्टरीनुमा प्रयोगशाला में आग लग गई और वह लगभग पूरी तरह से तबाह हो गई। एडिसन के 24 वर्षीय बेटे चार्ल्स को ध्यान आया कि उसके पिता कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं। वह धुएं और उड़ती राख के बीच उन्हें पागलों की तरह तलाश रहा था। आखिर उसने उन्हें, अपने पिता थॉमस अल्वा एडिसन को खोज निकाला। लपटों की रोशनी में उनका चेहरा चमक रहा था। वे तब 67 साल के थे। जवानी उनसे बहुत दूर जा चुकी थी। और हर चीज़ आग की भेंट चढ़ चुकी थी।
चार्ल्स को देखते ही एडिसन चिल्लाए, 'चार्ल्स तुम्हारी मां कहां हैं?' चार्ल्स ने जब बताया कि उसे नहीं मालूम, तो उन्होंने कहा, 'उन्हें ढूंढ़ कर यहां ले आओ। तुम्हारी मां ने अपने पूरे जीवन में ऐसा नज़ारा नहीं देखा होगा !' अगली सुबह तक आग की लपटें ठंडी हो गईं, पर उससे पहले सब कुछ बर्बाद कर गई थीं। फैक्टरी की खंडहर हो चुकी इमारत को देखते हुए एडिसन बोले, 'ऐसी तबाही का भी बहुत महत्व है। हमारी सारी ग़लतियां जलकर खाक हो जाती हैं। भगवान का शुक्र है कि अब हम नई शुरुआत कर सकते हैं। और इस भीषण अग्निकांड के महज तीन हफ़्ते बाद ही एडिसन ने फोनोग्राफ का आविष्कार कर दिखाया।
सबक :
जो बीत गया, उसका दुख मनाने से क्या फ़ायदा? हर दिन एक नया दिन होता है और किसी भी दिन,किसी भी आयु में,किसी भी परिस्थिति में जीवन की नई शुरुआत हो सकती है।
बहुत प्रेरणदायॊ प्रसंग..वाकई मनन करने योग्य. आपका आभार.
ReplyDeleteबीता हुआ कल का महत्व केवल इतना ही है कि फिर से वह गलती न हो।
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