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मौहब्बत घुल रही है अब फ़िज़ाओं में,
धड़कते दिल, मचलते मन से पूछो,
हाल क्या है इस मौसम में,
किसी को दिल में रख कर के,
मेरे दिल की धड़कनें भी धड़कना चाहती हैं,
मेरी सपनीली आँखें भी किसी के ख्वाब बुनना चाहती हैं,
मैं वो चेहरा खोजता हूँ जिसे आग़ोश में लेकर,
मेरी बाहें रात भर जागना चाहती हैं,
ख्वाहिश यही है कि कोइ दस्तक दे मेरे दिल पर,
कोई हो जो मुझे चाहे, मुझसे भी कहीं ज्यादा,
मैं ये भी जानता हूँ कि ये इक ख्वाब है,
और ख्वाब का टूटना तय है,
मगर जब तक ये पागल दिल बहलता है,
मैं इन ख्वाबों को देखना चाहता हूँ.......





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