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- चेहरे पर चँचल लट उलझी....27 Jul 20091
चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों मे सपन सुहाने हैं ये वही पुरानी राहें हैं, ये दिन भी वही पुराने हैं कुछ तुम भूली कुछ मै भूला मंज़िल फिर से आसान हुई हम ...Read more »
- मै तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक गया27 Jul 20090
मै तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक गयारोज़ जाता रहा , रोज़ आता रहातुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गईमंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहाज़िन्दगी के सभी रास्ते ए...Read more »
- मै कवि हूँ.....27 Jul 20092
सम्बन्धों को अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगीहोठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगीहर विवश आँख के आँसू कोयूँ ही हँस हँस पीना होगामै कवि हूँ जब त...Read more »
- आना तुम मेरे घर... अधरों पर हास लिये27 Jul 20090
आना तुम मेरे घरअधरों पर हास लियेतन-मन की धरती परझर-झर-झर-झर-झरनासाँसों मे प्रश्नों का आकुल आकाश लियेतुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगीजानी-अनजानी सौ ब...Read more »
- डॉ. कुमार विश्वास के कुछ मुक्तक13 Jun 20093
अभी चलना है रस्ते को मैं मंजिल मान लुं कैसे?मसीहा दिल को अपनी जिद का कातिल मान लुं कैसे?तुम्हारी याद के आदिम अंधेरे मुझको घेरे है,तुम्हारे बिन जो बीते...Read more »
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