3
स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर ख़ड़ी भीगती हुयी आँखों से रुख़सत करती हुयी वो मासूम सी लड़की जब तब मेरे ख्यालों में आ ही जाती है और मुझे एहसास करा जाती है मेरी उस भूल का जिस भूल के लिये आज तक मैं अपने आप को माफ़ नहीं कर पाया हूँ । उस दिन जब वो मुझसे मिलने स्टेशन पर आयी थी तो कितना खुश थी । उसने मेरे पास आकर मुस्कुराते हुये कहा था- अनुराग...मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ, मैं अपने दिल के जज़्बातों को आज तुम्हें बता देना चाहती हूँ... जिन्हें मैंने हमेशा तुमसे छुपा कर रखा । मुझे पता था कि वो मुझसे बे-इंतहा प्यार करती है पर मैं कभी उसे चाह कर भी प्यार नहीं कर पाया था । यही वजह थी कि मैं ये शहर हमेशा हमेशा के लिये छोड़ कर उसे बिना बताये जा रहा था । पर वो नादान इस समय इन सबसे अंजान अपने दिल की हर धड़कन जिस पर सिर्फ मेरा नाम लिखा हुआ था.. मुझे सुना देना चाह रही थी । मैंने उस समय बहुत बेरुखी के साथ उससे कहा था- महक... तुम्हारी फ़ालतु की बातों को सुनने के लिये मेरे पास वक़्त नहीं है, मेरी ट्रेन का समय हो गया है । पर शायद वक़्त इस स्टेशन को हमेशा के लिये हम दोनों के ज़हन में एक ना भूलने वाली याद के रूप में कैद करना चाहता था । मेरी ट्रेन 1 घंटे लेट हो चुकी थी... महक 1 घंटा और पाकर बेहद खुश थी । उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर कहा था- अनुराग... मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और मैं जिन्दगी के आख़िरी लम्हों तक तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.. क्या तुम भी मेरे साथ रहना पसन्द करोगे?..
उस समय मैं ना जाने क्यों इतना निष्ठुर हो गया था और मैंने कह दिया था- महक... ये सम्भव नहीं है, तुम पूरी जिन्दगी की बात कर रही हो.. मैं तो तुम्हारे साथ एक कदम भी साथ नहीं चल पाऊँगा । ये सुनकर उसकी आँखें डबडबा आयीं थीं । उसने इस जबाब की तो कभी कल्पना भी नहीं की होगी । उसने अपने आप को सम्भालते हुए कहा था- अनुराग.. ये तो बता दो मुझमें कमी क्या है.. क्यों तुम अपनी जिन्दगी मेरे साथ नहीं बिता सकते?.... महक तुम में कोई कमी नहीं है, तुम तो नौकरी भी कर रही हो जबकि मैं तो अभी तक बेरोजगार हूँ... परंतु मेरी कल्पना में जिस लड़की की तस्वीर अंकित है,तुम उस तस्वीर से बिल्कुल अलग हो । पता नहीं उन दिनों मैं किसकी तलाश में था.. जो मुझे उस समय उसकी आँखों में अपने लिये सच्चा प्यार नज़र नहीं आया...और मेरी ये तलाश.. तलाश ही रह गयी । उसकी आखों से अश्रुओं की धार बह चली थी । उसने रोते हुए सिर्फ इतना ही कहा- इस दिल ने सिर्फ तुम्हें ही चाहा है, अब इस दिल में कोई और नहीं बस सकता... मैं अपनी सारी जिन्दगी तुम्हारी यादों के सहारे गुज़ार लूँगी । ये कहकर वो मेरी नजरों में बहुत ऊपर उठ गयी पर मेरा मन-मस्तिष्क और दिल अभी भी मेरी कल्पना में अंकित चेहरे को तलाशने की जिद पर अड़े हुए थे । ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ गयी थी... पता नहीं कैसे मैं इतना निर्मोही हो गया था कि मैं उससे सांत्वना के दो बोल भी नहीं बोल पाया,उससे मैं ये तक नहीं कह पाया कि- महक.. अपना ख्याल रखना । मैं चलने को हुआ तो उसने कहा- अनुराग.. तुम्हारे पास अभी कोई नौकरी नहीं है, ये कुछ रुपये मेरे पास हैं इन्हें तुम रख लो.. तुम्हारे काम आयेंगे.. प्लीज इन्हें लेने से इंकार मत करना..कम से कम मेरी इतनी सी बात तो मान लो । ये कहकर उसने रुपये मेरे बैग में रख दिये । उसकी आखों में नमी अभी भी मौजूद थी और मैं जानता था कि मेरे जाने के बाद आँखों की ये नमी फिर से आँसूओं का रूप ले लेंगी । उस शहर को छोड़ने के बाद कुछ दिनों तक तो मुझे लगा कि चलो महक को साफ साफ शब्दों में बता कर मैंने सही किया पर ज्यों ज्यों समय बीतता गया मुझे अपनी गलती का अहसास होने लगा। जो मन-मस्तिष्क एवं दिल कल्पना में अंकित चेहरे को पाने की जिद पर अड़े थे वो भी मेरा साथ छोड़ने लगे थे और मुझे हर पल ये अहसास दिला रहे थे कि मैंने महक के दिल को छ्लनी करके बहुत बड़ा गुनाह किया है । अब मुझे भी महक से प्यार होने लगा था.. जिस शहर को छोड़ते समय मैंने ये इरादा किया था कि अब कभी लौट कर नहीं आऊँगा.. उस शहर में मैं ये अरमान लेके वापस गया कि महक से माफी माँग़ लूँगा और उससे कहूँगा कि मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकता । पर....... वो तो पहले ही उस शहर को छोड़ कर कहीं और जा चुकी थी । मैंने उसे खोजने की बहुत कोशिश की...पर वो मुझे मिल ना सकी । आज भी मेरी हर धड़कन से यही आवाज आती है- महक... तुम जहाँ कहीं भी हो वापस मेरी जिन्दगी में लौट आओ... मेरी गलती की मुझे इतनी बड़ी सजा मत दो, मैं जानता हूँ दिल तोड़ने के लिए कोई माफी नहीं होती .....कितना बच्चा था मैं...प्यार को खोज रहा था और तुम्हारे प्यार को न समझ सका......एक ऐसी भूल कर बैठा जिसका प्रायश्चित भी ना कर सका ......

Post a Comment

  1. bahut acchi rachna prastut ki hai aapne, pr kya ye rachna aapke wastwik jeevan pe aadharit hai ya ye sirf ek kalpana maatr hai?

    ReplyDelete
  2. priy anurag ji aapne mere prasn ka jawab nhi diya...........

    ReplyDelete
  3. आपको मेरी यह रचना पसन्द आयी और आपने अपनी टिप्पणी के माध्यम से अपनी भावना को अभिव्यक्त किया इसके लिये मैं आपका तहेदिल से अभारी हूँ.. मैं आशा करता हूँ कि आप अपनी बहूमूल्य टिप्पणियाँ इसी तरह देते रहेंगे, जिससे मेरा उत्साहवर्धन होता रहे । आप मुझसे ये जानना चाहते हैं कि क्या ये घटना मेरे वास्तविक जीवन में घटी है या ये सिर्फ कल्पना है ? इसके जवाब में मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि ये घटना मेरे जीवन में तो नहीं घटी है पर ये कहानी काल्पनिक भी नहीं है.. क्या फर्क पड़ता है कि ये कहानी मेरी जीवन पर आधारित है या किसी और के..!!!

    ReplyDelete

आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है। अतः अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।

 
Top