ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा,
महबूब मेरा सोया हैं या जगा,
मुझे ख़बर उसकी बतला तो जरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा!!
मैं हूँ यहाँ, वो दूर है मुझसे,
इसलिए ही ये कहता हूँ तुझसे ,
थोडी सी रौशनी मेरे प्यार की,
उनके चेहरे पे बिखरा तो जरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा!!!
देखो, शरमा मत जाना जब देखो उनकी खूबसूरती को,
आशिक मैं हूँ उनका , तुम मत दिल दे आना उन्ही को ,
जा एक लम्हा ही सही, मुझे उनका दीदार करा तो जरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा !!!!
बालो की लटे अगर उनके चेहरे पर पड़ी हो ,
तो गुजारिश पे मेरी उन्हें चेहरे से हटा तो जरा,
देखो वो मुस्कुराई सोच कर की मैं हूँ,
कदमों के निशान उनके सिरहाने छोड़ कर आ तो जरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा !!!!
अगर तुझे आए शरम उनकी खूबसूरती देख कर,
तो तुम बाद की ओट मैं छिप जाना,
अगर वो लगे तुझे ख़ुद से ज्यादा हसीन,
तो एक झलक उनकी मुझे भी दिखलाना,
जा मेरा ये छोटा सा काम कर के आ तो जरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा,
नाम ले कर मेरे बाँहों मैं उसे भर तो जरा,
सिने से लगा कर,
बाँहों मैं उठा कर..
मेरी तरफ़ से उसे प्यार कर तो जरा,
फ़िर कहना उन्हें की मैं दूर ही सही
किस्मत के हाथों मजबूर ही सही,
लेकिन दिल-ओ-इमान मेरा उसके कदमो मैं हैं धरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन्हें देख कर आ तो जरा!!!!
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा,
महबूब मेरा सोया हैं या जगा,
मुझे ख़बर उसकी बतला तो जरा,
ऐ चन्दा जा खिड़की से उन देख कर आ तो जरा!!
साभार- अमित त्यागी
bahut hi sunder bhav,khubsurat ehsaas liye hai rachana.
ReplyDeletebahut sundar vah
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत लिखा है |
ReplyDeleteबहुत दिलकश