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ह पश्चिम के किसी देश की बात है, जहाँ रोटियों की जगह आमतौर पर ब्रेड खाई जाती है। वहां एक व्यक़्ति रोज़ रेस्तरां जाता और ब्रेड के साथ सूप का ऑर्डर देता। रेस्तरां का मेनु तय था। वे लोग एक कटोरी सूप के साथ ब्रेड की चार स्लाइस देते थे। एक दिन मैनेजर ग्राहकों से रेस्तरां की सेवाओं के बारे में राय ले रहा था। उसने उस व्यक़्ति से पूछा, 'भाई साहब, आपका भोजन कैसा रहा?' उस व्यक़्ति ने जवाब दिया, 'अच्छा तो था, पर आपको ब्रेड की कुछ ज्यादा स्लाइस देनी चाहिए।' मैनेजर ने वेटर से अगले दिन से उसे चार की जगह छ्ह स्लाइस देने के लिये कह दिया।
         दूसरे दिन मैनेजर ने फिर अपना सवाल दोहराया, 'सर, आज आपका खाना कैसा रहा?' आदमी का जवाब भी वही रहा, 'अच्छा ही था, पर आपको कुछ ज़्यादा स्लाइस देनी चाहिए।' तो मैनेजर ने अगली बार से उसे ब्रेड की आठ स्लाइस देने को कह दिया। अगले दिन मैनेजर ने ख़ुशी-ख़ुशी पूछा, 'सर, आज का आपका भोजन कैसा रहा?' जवाब वैसा ही ठंडा था, 'हम्म्म... अच्छा था। लेकिन आपको कुछ ज़्यादा स्लाइस देनी चाहिए।' अब तो यह रेस्तरां की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका था। मैनेजर ने कहा, कुछ भी हो जाए, उस ग्राहक के मुंह से संतुष्टि के शब्द निकलवाने ही हैं। तो उसने स्टाफ़ को आदेश दिया कि उसे ब्रेड का पूरा का पूरा लोफ़ परोसा जाए, जो अमूमन दो आदमियों के लिए पर्याप्त होता है। अगले दिन उस आदमी को पूरी 16 स्लाइस परोसी गई। लेकिन उसकी प्रतिक्रिया वही रही, 'अच्छा... पर कुछ और स्लाइस परोसनी चाहिए।' यह सुनकर मैनेजर ने अपना सिर धुन लिया। पर उसने हार नहीं मानी। वह ताव-ताव में बेकरी पहुंच गया और उसने एक छह फुट लंबी और उतनी ही चौड़ी ब्रेड बनाने का ऑर्डर दिया। अगले दिन जब यह विशालकाय ब्रेड रेस्तरां पहुंचाई गई, तो मैनेजर ने उसे चार टुकड़ों में कटवाया और बेसब्री से अपने स्पेशल ग्राहक की प्रतीक्षा करने लगा। वह व्यक़्ति अपने रोज़ाना के समय पर पहुंच गया। मैनेजर ने ख़ुद उसे विशाल ब्रेड के चारों टुकड़े और ढ़ेर सारा सूप परोसा। आदमी ने कुछ खाया और बाक़ी छोड़ दिया। मैनेजर को पूरी उम्मीद थी कि आज तो वह तृप्त हो गया होगा। उसने बड़े सलीके से पूछा, 'सर, आज आपका भोजन कैसा रहा?' पूरे स्टाफ़ के कान उसकी ओर लगे थे। उस आदमी ने कहा, 'अच्छा तो था, पर मैं देख रहा हूं कि आप फिर से ब्रेड की चार ही स्लाइस देने लगे।'


सबक जिन्दगी का :-

इंसान कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। क्योंकि लालच की कोई सीमा नहीं होती।

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