कुछ तो कहेगा दिल ये गर तलब इसे हुई,
ये बात और है कि तुम सुनो या ना सुनो,
मस्ती फिजां की देख के बहकेगा दिल ज़ुरूर,
बहके हुए इस दिल को तुम चुनो या ना चुनो!!
यह पश्चिम के किसी देश की बात है, जहाँ रोटियों की जगह आमतौर पर ब्रेड खाई जाती है। वहां एक व्यक़्ति रोज़ रेस्तरां जाता और ब्रेड के साथ सूप का ऑर्डर देता। रेस्तरां का मेनु तय था। वे लोग एक कटोरी सूप के साथ ब्रेड की चार स्लाइस देते थे। एक दिन मैनेजर ग्राहकों से रेस्तरां की सेवाओं के बारे में राय ले रहा था। उसने उस व्यक़्ति से पूछा, 'भाई साहब, आपका भोजन कैसा रहा?' उस व्यक़्ति ने जवाब दिया, 'अच्छा तो था, पर आपको ब्रेड की कुछ ज्यादा स्लाइस देनी चाहिए।' मैनेजर ने वेटर से अगले दिन से उसे चार की जगह छ्ह स्लाइस देने के लिये कह दिया।
दूसरे दिन मैनेजर ने फिर अपना सवाल दोहराया, 'सर, आज आपका खाना कैसा रहा?' आदमी का जवाब भी वही रहा, 'अच्छा ही था, पर आपको कुछ ज़्यादा स्लाइस देनी चाहिए।' तो मैनेजर ने अगली बार से उसे ब्रेड की आठ स्लाइस देने को कह दिया। अगले दिन मैनेजर ने ख़ुशी-ख़ुशी पूछा, 'सर, आज का आपका भोजन कैसा रहा?' जवाब वैसा ही ठंडा था, 'हम्म्म... अच्छा था। लेकिन आपको कुछ ज़्यादा स्लाइस देनी चाहिए।' अब तो यह रेस्तरां की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका था। मैनेजर ने कहा, कुछ भी हो जाए, उस ग्राहक के मुंह से संतुष्टि के शब्द निकलवाने ही हैं। तो उसने स्टाफ़ को आदेश दिया कि उसे ब्रेड का पूरा का पूरा लोफ़ परोसा जाए, जो अमूमन दो आदमियों के लिए पर्याप्त होता है। अगले दिन उस आदमी को पूरी 16 स्लाइस परोसी गई। लेकिन उसकी प्रतिक्रिया वही रही, 'अच्छा... पर कुछ और स्लाइस परोसनी चाहिए।' यह सुनकर मैनेजर ने अपना सिर धुन लिया। पर उसने हार नहीं मानी। वह ताव-ताव में बेकरी पहुंच गया और उसने एक छह फुट लंबी और उतनी ही चौड़ी ब्रेड बनाने का ऑर्डर दिया। अगले दिन जब यह विशालकाय ब्रेड रेस्तरां पहुंचाई गई, तो मैनेजर ने उसे चार टुकड़ों में कटवाया और बेसब्री से अपने स्पेशल ग्राहक की प्रतीक्षा करने लगा। वह व्यक़्ति अपने रोज़ाना के समय पर पहुंच गया। मैनेजर ने ख़ुद उसे विशाल ब्रेड के चारों टुकड़े और ढ़ेर सारा सूप परोसा। आदमी ने कुछ खाया और बाक़ी छोड़ दिया। मैनेजर को पूरी उम्मीद थी कि आज तो वह तृप्त हो गया होगा। उसने बड़े सलीके से पूछा, 'सर, आज आपका भोजन कैसा रहा?' पूरे स्टाफ़ के कान उसकी ओर लगे थे। उस आदमी ने कहा, 'अच्छा तो था, पर मैं देख रहा हूं कि आप फिर से ब्रेड की चार ही स्लाइस देने लगे।'
सबक जिन्दगी का :-
इंसान कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। क्योंकि लालच की कोई सीमा नहीं होती।
ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक फ्रीजर प्लांट (freezer plant) में काम करता था। वह दिन का अंतिम समय था और सभी लोग घर जाने को तैयार थे। तभी प्ला...Read more »
आपने शायद आम लोगों की यूट्यूब पर कमाई करने की कहानियाँ सुनी होंगी और यह
सोचा होगा की "अरे, मैं भी यह कर सकता हूँ !" | हालांकि हज़ारों की कमा...Read more »
This story was learned how to search of success, happiness and contentment. Just like any middle class guy, he too had a bunch of unclear dreams...Read more »
एक समय की बात है एक बच्चे का जन्म होने वाला था | जन्म से कुछ क्षण
पहले ही उसने भगवान से पूछा की मैं तो इतना छोटा हूँ भला मैं धरती पर कैसे
रह ...Read more »
किसी दूर गाँव में एक धोबी रहता था। धोबी रोज लोगों के घर-घर जाता और
लोगों के गंदे कपड़े धोने के लिए लेकर जाता था। धोबी के पास एक गधा था जिस
पर वो क...Read more »
Post a Comment
aprieztmkrdezign
218168578325095
आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है। अतः अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।
Emoticon
Click to see the code! To insert emoticon you must added at least one space before the code.
Post a Comment
आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है। अतः अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।
EmoticonClick to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.