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ऐसी आंखें नही देखी, ऐसा काजल नही देखा,
ऐसा जलवा नही देखा, ऐसा चेहरा नही देखा,

जब ये दामन की हवा ने, आग जंगल में लगा दे,
जब ये शहरो में जाए, रेत में फूल खिलाये,

ऐसी दुनिया नही देखी, ऐसा मंजर नही देखा,
ऐसा आलम नही देखा, ऐसा दिलबर नही देखा,

उस के कंगन का खड़कना, जैसा बुल-बुल का चहकना,
उस की पाजेब की छम-छम, जैसे बरसात का मौसम,

ऐसा सावन नही देखा, ऐसी बारिश नही देखी,
ऐसी रिम-झिम नही देखी, ऐसी खवाइश नही देखी,

उस की बेवक्त की बाते, जैसे सर्दी की हो राते,
उफ़ ये तन्हाई, ये मस्ती, जैसे तूफान में कश्ती,

मीठी कोयल सी है बोली, जैसे गीतों की रंगोली,
सुर्ख गालों पर पसीना, जैसे फागुन का महीना...

Singer: Jagjit Singh

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