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क्यों करते हो एतबार मेरा
मालूम है तुमको प्यार मेरा

इक बात में फ़ैसला है तुमसे
रंज़ीदा है दिल हज़ार मेरा

तेरा नहीं एतबार मुझको
तू भी न कर एतबार मेरा

शायद कि न हो तुम अपने बस में
दिल पर तो है इख्तियार मेरा

कुछ समझे हुए है अपने दिल में
सुनते नहीं हाले-ज़ार मेरा

वह हाय बिगड़ के उसका जाना
रोना वही ज़ार-ज़ार मेरा

कल तो 'निज़ाम' यह न था हाल
दिल आज है बेक़रार मेरा...

'निज़ाम' रामपुरी

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  1. आज आपका ब्लॉग देखा ......... बहुत अच्छा लगा.... मेरी कामना है की आपके शब्दों को नई ऊर्जा, नई शक्ति और नए अर्थ मिलें जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकें.
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    सादर शुभकामनाओं के साथ-
    आनंदकृष्ण, जबलपुर

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  2. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  3. Anek shubh kamnayon sahit swagat hai...seedha,saral likha hai...bada achha laga..!

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  4. Ye mera teesara attempt hai...comment post karneka..!

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  5. Sundar !

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    Snehil nimantran hai...!

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