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प्रेके मायने क्या हैं, इस पर सदियों से विचारकों, लेखकों व अन्य लोगों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए हैं। प्रेम क्या है? इस प्रश्न का उत्तर प्रेम करने वाले भी पूर्णता के साथ नहीं जान पाते हैं। इसका कारण यह नहीं कि उन लोगों ने सच्चा प्रेम नहीं किया होता है बल्कि प्रेम है ही ऐसा जिसे न तो भावनाओं की सीमा में बाँधकर मनमाफिक रूप दिया जा सकता है और न ही रिश्तों व संबंधों के अनुरूप नाम दिया जा सकता है। प्रेम की परिभाषा और प्रेम का वास्तविक रूप इस प्रवाहपूर्ण गीत में बड़े सुंदर शब्दों में दिए गए हैं। ... प्रेम-गीत प्रेमियों के लिए ही है…उन्हें गुनगुनाना ही चाहिए..


प्रेम पाना चाहते गर गुनगुनाना सीख लो।
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

प्रेमी-मन को जब नहीं तुम जानते-पहचानते,
झूठे अहं को त्याग दो,सच को अपनाना सीख लो..
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

प्रेम भी इक गीत है, तुम इसको गाना सीख लो,
प्रेमी तुम्हें मिल जाएगा बस तुम बुलाना सीख लो…
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

गीत लिखना चाहते गर ग़म उठाना सीख लो,
गीत तो लिख जाएगा,दिल को तपाना सीख लो…
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

सोचकर जो लिक्खा जाए गीत कहलाता न वो,
हृदतंत्री को झन्क्रित जो कर दे ऐसा गीत लिखना सीख लो…
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

प्रेम इक अहसास है,फूलों में खुशबू की तरह,
शर्त है कि फूलों जैसे खिलखिलाना सीख लो..
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

प्रेम अरु प्रेमी में जब अन्तर नज़र आता नहीं,
प्रेम में खुद को मिटाना यह अदा भी सीख लो…
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

प्रेम की मादकता को, ऐसे न तुम सह पाओगे,
लहरों सा उठना-मचलना,यह कला भी सीख लो…
प्रेम में झूमो तुम ऐसे लहलहाना सीख लो॥

- डा. रमा द्विवेदी

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  1. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति .............जहाँ जहान प्यारमय हुये जारहा है ..........सही है प्रेम मे झुमो ऐसे ही..........

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  2. बहुत अच्छा अभिव्यक्ति...
    अच्छा लगा आपकी कविता पढ़ कर.
    प्रेम पर सुंदर रचना..बधाई

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