ओ कल्प -वृक्ष की सोन -जूही
ओ अमल -ताश की अमर कली
धरती के आताप से जलते
मन पर छाई निर्मल बदली
मैं तुमको मधु -शहद -गंध युक्त,संसार नही दे पाउँगा!
तुम मुझको करना माफ़ प्रिये मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
तुम कल्प -वृक्ष का फूल और
मैं धरती का अदना गायक
तुम जीवन के उपभोग योग्य
मैं नही अधूरी ग़ज़ल शुभे
तुम शाम -गान सी पावन हो
हिमशिखरों पर सहसा कौंधा
बिजुरी सी तुम मन भवन हो
इसलिए व्यर्थ शब्दों वाला , व्यापर नही दे पाउँगा !
तुम मुझको करना माफ़ प्रिये मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
तुम जिस शैया पर शयन करो
वह शीर सिंध सी पावन हो
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या वृन्दावन हो
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वह अधर नहीं गंगा तट हो
जिसकी छाया बन साथ रहो
वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो
पर मैं वट जैसा सघन छाओं ,विस्तार नहीं दे पाउँगा !
तुम मुझको करना माफ़ मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
मैं तुमको चाँद सितारों का
सौपूं उपहार भला कैसे
मैं यायावर बंजारा साधू
सुर -संसार भला कैसे
मैं जीवन के प्रश्नों से नाता
तोड़ , तुम्हारे साथ शुभे !
बारूदी बिछी धरती पर कर लूँ
दो पल प्यार भला कैसे
इसलिए विवश हर साँसों को , सत्कार नही दे पाउँगा !
तुम मुझको करना माफ़ तुम्हे मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
ओ अमल -ताश की अमर कली
धरती के आताप से जलते
मन पर छाई निर्मल बदली
मैं तुमको मधु -शहद -गंध युक्त,संसार नही दे पाउँगा!
तुम मुझको करना माफ़ प्रिये मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
तुम कल्प -वृक्ष का फूल और
मैं धरती का अदना गायक
तुम जीवन के उपभोग योग्य
मैं नही अधूरी ग़ज़ल शुभे
तुम शाम -गान सी पावन हो
हिमशिखरों पर सहसा कौंधा
बिजुरी सी तुम मन भवन हो
इसलिए व्यर्थ शब्दों वाला , व्यापर नही दे पाउँगा !
तुम मुझको करना माफ़ प्रिये मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
तुम जिस शैया पर शयन करो
वह शीर सिंध सी पावन हो
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या वृन्दावन हो
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वह अधर नहीं गंगा तट हो
जिसकी छाया बन साथ रहो
वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो
पर मैं वट जैसा सघन छाओं ,विस्तार नहीं दे पाउँगा !
तुम मुझको करना माफ़ मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
मैं तुमको चाँद सितारों का
सौपूं उपहार भला कैसे
मैं यायावर बंजारा साधू
सुर -संसार भला कैसे
मैं जीवन के प्रश्नों से नाता
तोड़ , तुम्हारे साथ शुभे !
बारूदी बिछी धरती पर कर लूँ
दो पल प्यार भला कैसे
इसलिए विवश हर साँसों को , सत्कार नही दे पाउँगा !
तुम मुझको करना माफ़ तुम्हे मैं प्यार नही दे पाउँगा !!
ek suramayi kawita..........atisunndar
ReplyDeletettsm shbdavli yukt sundr rchna
ReplyDeleteबढ़िया रचना . लिखते रहिये. धन्यवाद.
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