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जिस रात लगो डूबने यादों के भंवर मे
उस रात की स्याही से, ग़ज़ल प्यार की लिखना
जिस दिन लगे कि बहुत ही दुष्वार है जीना
उस दिन के उजाले से ग़ज़ल प्यार की लिखना

जिस शाम करो याद और हम याद ना आयें
उस शाम तीरगी से ग़ज़ल प्यार की लिखना
तारों की टिम-टिमा-हट बैचेन करें जब
झिलमिल सी रोशनी से ग़ज़ल प्यार की लिखना

शफ्फाक चांदनी भी जब रास ना आए
चन्दा की हर किरन से ग़ज़ल प्यार की लिखना
दिन जगमगा रहा हो और दिल डूबने लगे
सूरज की उस चमक से ग़ज़ल प्यार की लिखना

बांगो मे खिले फूल पर वीरानगी लगे
फूलों के उस महक से ग़ज़ल प्यार की लिखना
झरने-नदी और झील, कुछ भी न भाये जब
दरिया की रवानी से ग़ज़ल प्यार की लिखना

दम घुटने लगे और कोई राह ना सूझे
आख़िरी साँसों से ग़ज़ल प्यार की लिखना

लेखक: आर एस निगम

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  1. सुन्दर रचना है।बधाई।

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  2. बहुत उम्दा रचना, बधाई.

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  3. "दम घुटने लगे...." मेरे पास प्रशंशा के शब्द नहीं...इतनी अच्छी रचना लगी मुझको की क्या कहूँ...वाह...बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर और इस रचना को पढ़कर...मेरी बधाई स्वीकार करें...
    नीरज

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  4. नीरज जी ब्लॉग पर पधारने और मेरी मनोभिव्यक्ति की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद !
    यूँ ही प्रोत्साहन बनाए रखिये !

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  5. परमजीत जी आपको यह रचना अच्छी लगी और आपने प्रशंसा की इसके लिए हार्दिक धन्यवाद !
    यूँ ही प्रोत्साहन बनाए रखिये !

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