जाने क्यूँ ले गया मेरी वो वफायें सारी
लोग कहते हैं में इतना चुपचाप क्यूँ हूँ
इतना गुमसुम, तनहा और अकेला क्यूँ हूँ
कैसे कह दूँ की में चुपचाप क्यूँ हूँ ,
मेरी तो लूट कर खुशियाँ ले गया सारी
जाने क्यूँ ले गया मेरी वो वफायें सारी
जानकर दोस्त जो हमने थी निभाई यारी
जाने क्यूँ ले गया मेरी वो वफायें सारी
दिए तुने जो मुझे , जख्म हजारों थे
घर मैं बैठे हुए अब जख्म सिया करते हैं ,
अब तो तिल तिल कर हम रोज़ यहाँ मरते हैं ,
कैसे कह दें की दे गया वो ये बीमारी ,
जाने क्यूँ ले गया मेरी वो वफायें सारी
जानकर दोस्त जो हमने थी निभाई यारी
जाने क्यूँ ले गया मेरी वो वफायें सारी
आज तहना है कल तो हम चले जायेंगे …,
वहां से लौट के वापस नहीं फिर आयेंगे ,
चाहोगे फिर जो अगर मुझसे मिलना
मिल ना पाओगे हमसे तुम ज़िन्दगी सारी
जानकर दोस्त जो हमने थी निभाई यारी
जाने क्यूँ ले गया मेरी वो वफायें सारी...
Post a Comment
आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है। अतः अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।
EmoticonClick to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.